पैगंबर मुहम्मद ﷺ का जन्म इस्लामी इतिहास की सबसे पवित्र और ऐतिहासिक घटनाओं में से एक है। यह वह क्षण था जब अल्लाह ने अपने आख़िरी रसूल को दुनिया में भेजा, जो “रहमतुल-लिल-आलमीन” (सारी दुनिया के लिए रहमत) बनकर आए।
जन्म का समय और तारीख
पैगंबर मुहम्मद ﷺ का जन्म:
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सोमवार, 12 रबीउल अव्वल, हाथी के वर्ष (570 ई.) में हुआ,
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स्थान: मक्का, क़ुरैश कबीले के बनू हाशिम ख़ानदान में।
स्रोत: इब्न हिशाम – सीरत अल-नबी, खंड 1;
अल-तबरी – तारीख़ अल-रसूल वा अल-मुलूक
परिवार और वंशावली
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पिता: अब्दुल्लाह बिन अब्दुल मुत्तलिब (जन्म से पहले ही निधन हो गया)
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माता: आमिना बिन्त वहब (बनू ज़ुहरा कबीले से)
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दादा: अब्दुल मुत्तलिब (मक्का के क़ुरैश क़बीले के सरदार)
उनकी वंशावली हज़रत इस्माईल (अ.स.) और फिर हज़रत इब्राहीम (अ.स.) से जुड़ती है, जिसे सबसे पवित्र वंश माना जाता है।
जन्म के समय चमत्कारी संकेत
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बीबी आमिना से एक तेज़ रौशनी निकली जो सीरिया के महलों तक चमक उठी।
स्रोत: इब्न सअद – तबक़ात अल-कुबरा
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फारस के अग्नि मंदिर की 1000 साल से जल रही आग बुझ गई।
स्रोत: अल-बैहक़ी – दलाएल अल-नुबूवत
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किसरा (फारस के राजा) के महल की 14 बालकनियाँ गिर गईं।
यह इस बात का संकेत था कि इस्लाम आने से पहले 14 शासक समाप्त होंगे।
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सवाह झील सूख गई, जिसे मूर्तिपूजक पूजते थे।
पैगंबर का जन्मस्थान: मक्का
पैगंबर मुहम्मद ﷺ का जन्म मक्का में हुआ, जो कि काबा शरीफ़ के निकट शाअब-ए-बनू हाशिम नामक स्थान था। उस समय अरब में:
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अंधविश्वास,
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जातीय संघर्ष,
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नैतिक पतन का दौर चल रहा था।
उनका जन्म उस अंधकार में एक नूर की तरह हुआ।
बीबी आमिना का बयान
बीबी आमिना ने कहा:
“जब मैंने उन्हें जन्म दिया, तो एक नूर मुझसे निकला जिसने सीरिया के महलों को रौशन कर दिया। मैंने एक तारा देखा जो पहले कभी न देखा था।”
— इब्न इशाक, सीरत; अल-बैहकी, दलाएल अल-नुबूवत
बाद की इस्लामी सोच में महत्व
इस्लामी विद्वानों ने इस जन्म को धरती पर रहमत और रोशनी के आगमन के रूप में देखा:
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इमाम क़ुर्तुबी: आपने इसे ईश्वरीय प्रकाश की शुरुआत कहा।
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इमाम ग़ज़ाली: इसे आत्माओं की जागृति का क्षण बताया।
क़ुरआन में इशारे
हालाँकि क़ुरआन में जन्म तिथि नहीं है, लेकिन रसूल ﷺ के बारे में यह कहा गया:
“हमने आपको सारी दुनिया के लिए रहमत बनाकर भेजा।”
— सूरह अल-अंबिया 21:107
“निश्चित रूप से तुम्हारे पास अल्लाह की ओर से एक नूर (प्रकाश) और स्पष्ट किताब आई है।”
— सूरह अल-माइदा 5:15
आज के दौर में क्यों ज़रूरी है याद रखना
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अंधकार के बाद रोशनी की निशानी
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पैगंबर ﷺ के चरित्र से जुड़ाव का अवसर
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इंसाफ़, रहमत और सच्चाई को अपनाने की प्रेरणा
मुख्य स्रोत:
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इब्न हिशाम – सीरत अल-नबी
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इब्न सअद – तबक़ात अल-कुबरा
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अल-बैहक़ी – दलाएल अल-नुबूवत
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इब्न कसीर – अल-बिदायह वा अल-निहायह
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अल-तबरी – तारीख़ अल-रसूल वा अल-मुलूक
निष्कर्ष
पैगंबर मुहम्मद ﷺ का जन्म सिर्फ़ एक ऐतिहासिक घटना नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए एक नया मार्ग था — रहमत, नूर और हिदायत का रास्ता। इस दिन को याद करना दिलों में ईमान, मुहब्बत और शुक्र का जज़्बा भर देता है।